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  कार्याशील पूंजी किसे कहते हैं, कार्यशील पूंजी को प्रभावित करने वाले कारक, अल्पकालीन और दीर्घकालीन वित्त के स्रोत








नमस्कार,




 प्रश्न :-कार्यशील पूंजी किसे कहते हैं, उदहारण?


उत्तर :-


कार्यशील पूंजी (Working Capital ) :-


वर्किंग कैपिटल उस कैपिटल को कहते है जो किसी बिजनेस में दिन प्रतिदिन / रोजाना उपयोग किया जाता है वर्किंग कैपिटल कहलाता है.




इसे बैलेंस सीट के एसेट्स साइड दिखाया जाता है.




वर्किंग कैपिटल प्रत्येक कंपनी को निकलना आवश्यक होता है क्योंकि इसमें कंपनी का परफॉर्मेंस ज्ञात किया जाता है और साथ ही इससे यह पता चलता है कि कंपनी कैसा चल रहा है,




वर्किंग कैपिटल निकलने का फार्मूला :-


[ WORKING CAPITAL = CURRENT ASSETS - CURRENT LIABILITY ]




CURRENT ASSETS :-


* cash in hand.


*cash at bank.


* sundry debtor.


*bill Receivable.


*stock.




CURRENT LIABILITY :-


*bank overdraft


* bill payable.


*O/s expense.




इसके भी दो कांसेप्ट होते है :-

1:- Gross working capital.


[ Stock + Debtor + Bill Receivable + Cash in hand ]




2:- Net working capital :-


[ Stock + Debtor + Bill Receivable + Cash in hand - creditors - bill payable ]




प्रश्न :- कार्यशील पूंजी को प्रभावित करने वाले कारक ( Factor affecting of working capital ).


उत्तर :-


कार्यशील पूंजी को प्रभावित करने वाले कारक निम्न है,:-


1:-व्यवसाय की प्रकृति (Nature of business).


2:-संचालन का पैमाना ( scale of operating).


3:- व्यापारिक चक्र (Business cycle).


4:- मौसमी कारक ( Seasonal factor).


5:- क्रेडिट अनुमति ( Credit allow).


6:-कच्चे माल की उपलब्धता ( Available of row material).


7:- प्रतियोगिता का स्तर( Level of competition.)


8:- उत्पादित चक्र ( Produced cycle).






अल्पकालीन और दीर्घकालीन वित्त के स्रोत, ( long-term and short-term sources of finance )




 लंबी अवधि के वित्त का स्रोत ( Source of long term finance ):-

1-- पूंजी बाजार (capital market ):-


इसमें कोई भी कंपनी,एजेंसी लम्बे समय के लिए पूंजी इक्कठा करते हैं या उधार लेती है लंबी अवधि के वित्त का स्रोत हैं.




2: पूर्वधिकारी अंश ( prefrence share ):-


पूर्वधिकारी अंश मे अंशधारियों को प्रति वर्ष एक निश्चित दर लाभान्स पाने का पूर्ण अधिकार होता है अर्थात साल के अंत में कंपनी को जितने भी लाभ हुआ है उसका एक निश्चित दर पाने का अधिकार है और साथ में कंपनी के समापन के समय अंशधारियों द्वारा दिया गया पूंजी की वापस पाने का भी अधिकार है.




 3- समता अंश ( equity share ):-


इसमें अंशधारियों क़ो जो कि कंपनी में कुछ अंश पूंजी लगाया है, उसे कंपनी के जोखिम को भी उठाना पड़ता है साथ ही कंपनी के प्रबंध एवं संचालक को नियंत्रित करने का अधिकार है.




4:- ऋण ( loan ):-


 यह कंपनी का एक ऐसा प्रलेख है जिसमें प्रमुख शर्ते होती है.




5:- देबेंचर :-


 देबेंचर एक प्रकार का ऋण पत्र है जिसकी मदद से कंपनी के पास पूंजी की कमी हो जाती है तो वे देबेंचर जारी कर पूंजी जमा करती है और निवेशक उसे इसके बदले कुछ पैसा उधार देती है.




6:- अन्य साधन ( other source ):-


इसमें निम्न साधन आते है :-


A:- सहयोग निधि.


B:- विदेशो से ऋण.


C:- विदेशी वित्तीय संस्थाएं.


D:- आदि.




अल्पकालिक वित्त का स्रोत (Source of short term finance ):-  


Source of short term finance का मतलब यह है कि जब फाइनेंस कम समय के लिए जैसे 1 साल से कम के लिए पूंजी लगाया हो शॉर्ट टर्म फाइनेंस कहलाता है.




1:- ओवरड्राफ्ट :-


  ओवरड्राफ्ट को बैंक देता है इसमे बैंक क्रेडिट कार्ड देता है जो कि कुछ महीने के लिए होता है इसमें बैंक कुछ रकम देती है फिर बाद में उस रकम को हमें पे करना होता है ओवरड्राफ्ट कहालाता है.




2:- ट्रेड क्रेडिट:- 


 इसे वेंडर देता है कस्टमर को, इसमें कुछ रकम देता है और उस रकम को कस्टमर पे करता है


3:- आदि.




धन्यवाद





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